किताब छूने की इजाजत नहीं थी, बाबासाहेब ने खुद बना दी सबसे बड़ी लाइब्रेरी; किस्सा
बरसात के दिनों में कीचड़ और पानी में बैठकर पढ़ना भीमराव आंबेडकर की नियति बन चुका था। जातिगत भेदभाव इतना गहरा था कि स्कूल में उच्च जाति के छात्र या शिक्षक उन्हें किताबें हाथ से नहीं देते थे।
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